
देवेंद्रनगर निवासी द्वारका प्रसाद गुप्ता जी के द्वारा कृषि उपज मंडी में राधा कृष्ण जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करा कर संगीतमय श्रीमद् भागवत का आयोजन कराया जा रहा है
(जावेद खान पन्ना ):- श्रीमद भागवत कथा के सातवे दिन सुदामा चरित्र के वर्णन के साथ कथाव्यास पंडित श्री जगदीश प्रसाद शास्त्री जी द्वारा सुदामा चरित्र का वर्णन किए जाने पर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए। महाराज श्री ने कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो वही महाराज श्री ने सुदामा चरित्र प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते । गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। वही चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंडाल में सुदामा जी की दीन दशा देखकर लोग भाव विभोर हो गए वही महाराज श्री ने कुछ भजन गए और आरती हुई जिस पर जमकर श्रद्धालु झूमें